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अपने जमीन की भूमिधरी कैसे कराएं?

 नमस्कार! दोस्त मेरे ब्लॉएग "आओ जाने अपनी जमीन" में आपका एक बार फिर से स्वागत है! आज इस ब्लॉग में आपको बताने वाला हूँ कि संक्रमणीय एवं असंक्रमणीय भूमिधर क्या है? और किसी जमीन को असंक्रमणीय से संक्रमणीय कराने की क्या प्रक्रिया है।  असंक्रमणीय भूमि क्या है?                 कोई भूमि जब किसी व्यक्ति को आजीवन कृषि उपयोग के लिए आवंटित की जाती है तो वह व्यक्ति एक निश्चित अवधि तक उस भूमि को कृषि के अतिरिक्त किसी अन्य रूप में उपयोग,अंतरण या वसीयत नहीं कर सकता है ऐसी अवधि तक वह भूमि असंक्रमणीय भूमि के खाते की भूमि कही जाती है। और असंक्रमणीय भूमि का मालिक असंक्रमणीय भूमिधर कहलाता है। संक्रमणीय भूमि क्या है?                उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 76 के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को भूमि का असंक्रमणीय भूमिधर अधिकार प्राप्त होने की तिथि के पांच वर्ष बाद उस भूमि का संक्रमणीय भूमिधर अधिकार मिल जायेगा। और वह भूमि संक्रमणीय भूमि के खाते की हो जाएगी। भूमि को संक्रमणीय कराना क्यों आवश्यक है ?   ...

अपने खेत का पैमाइस या नाप कैसे करायें।

नमस्कार! दोस्त आपने मेरे पहले लेख में पढ़ा कि ग्राम सभा की भूमि को आबादी कैसे दर्ज करायें?अब मैं इस पोस्ट को लिख रहा हूं कि अपने भूमिधरी भूमि को अवैध कब्जा से मुक्त कैसे करायें?               यदि किसी खातेदार का कोई भूमि जो संक्रमणीय भूमिधर हो उसे कोई अन्य व्यक्ति अवैध रूप से कब्जा कर ले। या किसी प्रकार से मेड़ नष्ट हो जाने पर सीमा विवाद उत्पन्न हो तो उसे उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 के तहत न्यायालय उपजिलाधिकारी के यहां वाद प्रस्तुत कर मेड़बन्दी व कब्जामुक्त कराया जाता है। जिसकी प्रक्रिया निम्नलिखित है। 1आवश्यक शुल्क               सीमांकन हेतु ₹1000 प्रति गाटा संख्या के हिसाब से सीमांकन शुल्क ट्रेजरी चालान के माध्यम से जमा करना पड़ता है। बिना सीमांकन शुल्क जमा किए कोई भी आवेदन स्वीकार नहीं होगा। यदि दो या दो से अधिक संलग्न गाटा संख्या के सीमांकन हेतु आवेदन किया गया है तो सीमांकन शुल्क एक सेट ही देना होगा यदि प्रत्येक भूखण्ड एक दूसरे से संलग्न नहीं है अर्थात दूर दूर है तो प्रत्येक भूखण्ड का अलग अलग शुल्क ...

ग्राम सभा की भूमि पर मकान बना कर रहने वाली भूमि का बंदोबस्त /आबादी कैसे दर्ज करायें। धारा 67(क) और धारा 67(1) में अन्तर

 नमस्कार दोस्त! जैसा कि मेरा यह सबसे पहला पोस्ट है मैं इस पोस्ट के माध्यम से आपको उत्तर प्रदेश में जमीन से संबंधित धारा 67(क) और 67(1) में अन्तर बताने जा रहा हूं जब हमारे देश में संविधान लागू हुआ उसके बाद उसमें अनेक संशोधन किए गए। इसी क्रम में सन् 2006 में जमीन संबंधी उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम एवं भू राजस्व अधिनियम को बदलकर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 कर दी गई। जिसे सन 2016 में लागू किया गया। इसी प्रकार पुरानी धारा को भी बदल दिया गया तो चलिए अब हम जानते है कि वर्तमान धारा 67(क)और 67(1)किन धाराओं की परिवर्तित रूप है और इनमें अंतर क्या है?          उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम की धारा 123(1) को बदलकर धारा 67 (क) कर दिया गया और धारा 122(B) को बदलकर धारा 67 (1) कर दिया गया।           अब धारा 67 (क) के विषय में बताते हैं। उत्तर प्रदेश में निवास करने वाला कोई भी नागरिक जो अपने गांव में अपने ग्राम सभा की भूमि पर 29 नवम्बर 2012 के पहले से मकान बनाकर आबादी के रूप में प्रयोग कर रहा है तो वह भूमि उत्तर प्रदेश राजस्व स...